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बदलती वैश्विक व्यवस्था एवं भारत

आज भारत यथार्थवाद पर बल देते हुए कूटनीतिक क्षमता में वृद्धि करके विश्व में एक अहम् भूमिका निभा रहा है

डॉ. खुशबू गुप्ता


पिछले कुछ वर्षों में भारत कूटनीतिक स्तर पर विश्व में सबसे ताकतवर देशों में उभरा है। आर्थिक, सामरिक, राजनयिक तथा तकनीकी क्षेत्र में सभी विकसित देश भारत को ध्यान में रखकर अपने दिशा भी तय कर रहे हैं। आज वस्तुतः स्थिति इतनी मजबूत हो गई है कि विश्व आर्थिक मंच में यह तक कहा गया कि यदि भारत की अर्थव्यवस्था में गति आएगी तो वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी गति प्रदान होगी। पिछले कुछ वर्षों में भारत एक उभरती हुई शक्ति के तौर वैश्विक स्तर के विभिन्न संगठनों, मुद्दों और कार्यक्रमों में मात्र हिस्सेदार नहीं बल्कि एक मंच प्रदाता और नेता बनकर उभर रहा है।


आज विभिन्न मुद्दों पर भारत की समझ और भूमिका को महत्वपूर्ण स्थान दिया जा रहा है। चाहे वह तकनीकी की भूमिका हो, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, वैश्वीकरण की प्रक्रिया से उत्पन्न चुनौतियां तथा साथ ही साथ हिंद-प्रशांत में चीन की बढ़ती भूमिका, लोकतंत्र, अफ़गानिस्तान की समस्या, महाशक्तियों का अन्य देशों में हस्तक्षेप जैसे विषयों पर भारत की भूमिका बढ़ती जा रही है। विदित हो कि चीन का दूसरा ध्रुव बनकर उभरना तथा वैश्विक भू-राजनीति का केंद्र जहां एशिया-प्रशांत क्षेत्र बन रहा है वहीं भारत इस परिदृश्य में रूस और जापान की बढ़ती शक्ति के साथ मिलकर एक बैलेंसिंग पॉवर की महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा रहा है।


आज आतंकवाद विश्व की एक गंभीर समस्या बना हुआ है और इस आतंकी अवसंरचना को समूल नष्ट करने के साथ-साथ आतंकी नेटवर्क को समाप्त करने के लिए विश्व के सभी देश प्रतिबद्ध भी है। आतंकवाद को लेकर अभी हाल ही में भारत के विदेश मंत्री ने भी कहा कि “भारत अब बचने में नहीं निर्णय लेने में विश्वास रखता है और इससे सख्ती से निपटने के लिए भारत को अपनी पुरानी छवि से बहार निकलना होगा”। इसी सन्दर्भ में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने भी टिपण्णी किया कि आतंकवाद के मुद्दे पर भारत को अमेरिका की राह पर चलना पड़ेगा। राज्य प्रायोजित आतंकवाद पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि कि हमें कूटनीतिक तौर पर उन देशों को अलग-थलग करना होगा जिनके सहयोग से आतंकवाद को पोषण मिल रहा है तथा फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स द्वारा काली सूची में रखने को इसका एक समाधान बताया। वहीं ब्रिटेन ने भी इसका समर्थन किया कि पकिस्तान को कालीसूची होने से बचने के लिए आतंकवाद के खिलाफ गैर-परिवर्तनीय कार्रवाई करनी चाहिए। आज वैश्विक स्तर पर सभी देशों को पता है कि पाकिस्तान से संचालित हो रहा आतंकी घुसपैठ दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए खतरा बना हुआ है।


जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों को समाप्त करने के लिए भारत वैश्विक समुदाय के साथ मिलाकर एक अहम् भूमिका निभा रहा है

इसी सन्दर्भ में बीते महीने भूटान एवं न्यूजीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री के भारत यात्रा के दौरान इसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाने तथा इससे निपटने के लिए शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करना जरूरी बताया गया जिसके लिए राष्ट्रीय सहमति प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। अभी हाल ही में जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल की भारत यात्रा पर जलवायु और सतत विकास के लिए ग्रीन अर्बन मोबलिटी पर भारत और जर्मनी ने संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर भी किये।


इस बीच महाशाक्तियों का हस्तक्षेप इस मुद्दे पर एक प्रमुख समस्या बना हुआ है। ज्ञात हो कि अमेरिका तथा रूस सामरिक तथा विचारधारात्मक कारणों से अन्य देशों में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर से हस्तक्षेप करते रहे हैं। इसी सन्दर्भ में बीते दिनों अफ़गानिस्तान में अमेरिका की मौजूदगी पर हामिद करजई ने कहा अफ़गानिस्तान की राजनीति और संस्थाओं में हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए और उनकी संप्रभुता को नुकसान नहीं पहुचाया जाया जाना चाहिए। अमेरिका की मौजूदगी का फैसला संस्थाओं के माध्यम से वहां के नागरिकों को करना होगा।


वही रूस के विदेशमंत्री सर्गेई लावरोव ने अमेरिका की मौजूदगी तथा जापान और अन्य देशों के साथ मिलकर हिंद-प्रशांत को व्यापारिक हब बनाने के प्रयास पर कहा कि हिन्द-प्रशांत अवधारणा विभाजनकारी शब्दावली है और इसे लाने की कोशिश वर्तमान संरचना को नया स्वरूप देने का प्रयास है। वही रुसी विदेशमंत्री ने इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए भारत की स्थिति का समर्थन भी किया। यही ही नहीं अमेरिका का ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी को मारने के दो पक्ष निकल कर सामने आते हैं। पहला, अमेरिका हमेशा चाहता रहा है कि उसका प्रभुत्व विश्व में बना रहे और दूसरा कही न कही आतंकवाद के नाम पर अपने आपको बचाने का प्रयास भी कर रहा है। इस घटना से दोनों देशों के मध्य तनाव की स्थिति बनी हुई है। ईरान के विदेश मंत्री ने इस घटना पर कहा कि अमेरिका ने परमाणु समझौते में प्रतिबद्धता नहीं रखी तथा अज्ञानता और अहंकार दिखाया है।


आज ग्लोबल संवाद के विषयों पर नए परिप्रेक्ष्य में विश्लेषण की आवश्यकता हैं। भारत ने हमेशा वैश्विक समस्याओं तथा चुनौतियों को लेकर गंभीरता दिखाई है तथा इससे निपटने के लिए प्रतिबद्ध भी रहा है। जिसकी विभिन्न देशों के द्वारा सराहना भी की जा रही है। आज भारत यथार्थवाद पर बल देते हुए कूटनीतिक क्षमता में वृद्धि करके विश्व में एक अहम् भूमिका निभा रहा है। यही नहीं बहुध्रुवीय विश्व को केंद्र में रखकर बहुध्रुवीय एशिया पर बल दे रहा है और भारत का यह कदम विश्वपटल पर उसकी बढ़ती स्थिति को स्पष्ट भी कर रहा है।


(असिस्टेंट प्रोफेसर,दिल्ली विश्वविद्यालय)


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